Ekta Singh

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प्रेम जाल

नंदिता अंदर ही अंदर घबरा रही थी।पता नहीं क्या बात है  क्या बोलूंगी प्रिंसिपल मैम को? फिर अपने चेहरे के भावों को ठीक किया। प्रिंसिपल रूम की तरफ से आने लगती है।

नम्रता' गुड मॉर्निंग मैम!

प्रिंसिपल मैम-आओ बैठो नम्रता क्या बात है?कोई प्रॉब्लम चल रही है? आपका दो-तीन दिन का ब्रेक हो गया? सब कुछ ठीक है ?

नम्रता- यस  मैम  सब कुछ ठीक है। दरअसल बात यह है कि मेरी छोटी बहन की तबीयत ठीक नहीं थी। उसको दिखाने के लिए दिल्ली जाना पड़ा। प्रिंसिपल मैम-क्या हुआ है?

नम्रता-(शब्दों को संभालते हुए) मैम ऐसी कोई खास बात नहीं है  बस थोड़ा सा घबरा जाती है। उसको इनसाइटी बहुत बढ गई थी इसीलिए डॉक्टर को दिखाना पड़ा।

प्रिंसिपल मैम- ओह यह बात है? डोंट वरी यंग एज में ऐसी प्रॉब्लम हो जाती है। चलो कोई बात नहीं तुम अपने काम पर ध्यान दो।

नम्रता-ओके मैम मैं ध्यान रखूंगी।

प्रिंसिपल के रूम से निकलकर रिसेप्शन तरफ जाने लगती है।

राधिका-क्या हुआ नम्रता मैम ?क्या रही थी प्रिंसिपल नाम??

नम्रता-राधिका मैम कोई खास बात नहीं है ऐसे ही पूछ रही थी कि छुट्टियां क्यों नहीं तुमने?

राधिका-अच्छा अच्छा!! मुझे लगा पता नहीं क्या बात है?

नम्रता अपने काम में लग जाती है। बहुत दिन हुए दीपक से भी बात नहीं हो पा रही थी। सच्ची बात तो यह थी कि नम्रता के लिए उसका परिवार बहुत महत्व रखता था। कभी-कभी वह सोचती थी कि दीपक से उसे प्यार है ??दोस्ती है ??उसे समझ में नहीं आता था? कभी-कभी उसे लगता है कि यह सिर्फ़ अट्रैक्शन तो नहीं है?

क्योंकि नम्रता बहुत ही इंट्रोवर्ट लड़की थी। उसका शुरू से ही  इन बातों में कभी भी इंटरेस्ट नहीं था। उसको बात करना अच्छा लगता था। या उसका अकेलापन भी कह सकते हैं। वह 18 साल की उम्र से ही जॉब करने लगी थी। जिंदगी में उसने मौज मस्ती कभी की ही नहीं। ऐसे दिन चलते जा रहे थे घर से स्कूल, स्कूल से घर यही उसका रोज रूटीन था। 1 दिन की बात है शाम का समय था फोन की घंटी बजती है।

प्रगति-हाय नम्रता कैसी है? तू तो भूल ही गई यार? ऑफिस में तुझे सब याद करते हैं। शेरी तबियत की ठीक हो गई हो तो आ जाना दोबारा ज्वाइन कर ले।

नमिता-अरे क्या यार एक ही सांस में बोलते ही जाती है थोड़ा बहुत सामने वाले को भी बोलने दिया कर। दोनों तरफ से हंसी की आवाजें आने लगती हैं

आज बहुत दिनों बाद दोनों सहेलियां फोन पर बात कर रही थी।

नम्रता-यार मैं नहीं आ पाऊंगी शरी की तबीयत अभी भी ठीक नहीं है। पापा मम्मी का तुझे पता ही है। मैं उसको छोड़कर नहीं आ सकती। प्रगति-और बता तेरे आशिक के क्या हाल हैं? नम्रता-ऐसा कुछ नहीं है यार हमारा छोटा शहर है यहां पर 2 मिनट में बदनामी हो जाती है। मुझे इन सब बातों के लिए टाइम नहीं है बस उससे फोन पर बात करना अच्छा लगता है।

प्रगति- चल एक दिन उसकोयहां पर ले आ। मूवी देखेंगे,खाना-वाना खाएंगे फिर तुम दोनों निकल जाना।

नम्रता-नहीं यार ऐसे अकेले गाड़ी में आने में? (नम्रता की बात काटते हुए) प्रगति-यार पता तो करें उसके मन में क्या चल रहा है रियल में तुम्हें प्यार करता है कि नहीं अगर अच्छा लड़का है तो क्या दिक्कत है ?क्या तेरे को शादी नहीं करनी ?क्या ऐसे ही बैठी रहेगी?

नम्रता- तू तो बहुत दूर की बातें करने लग जाती है। शादी कहां से आ गई ? वह मेरा अच्छा दोस्त है। मुझे अपना शहर पसंद नहीं है ना मुझे यहां के लोग पसंद है।

प्रगति- चल बॉस आ रहा है रख रही हूँ बाद में बात करूंगी।

प्रगति उसकी बहुत अच्छी दोस्त थी।बचपन से ही एक साथ, खेली स्कूल भी एक साथ ही गई  जॉब भी एक साथ ही करना चाहती थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। प्रगति भी बहुत मेहनती लड़की है दिल्ली में लाजपत नगर पीजी में रहती है। जब भी उसको टाइम् मिलता है अपने मम्मी पापा के पास आ जाती है।

इतने में मम्मी की आवाज आती है कि शेरी की दवाइयाँ लानी है।

नम्रता-मम्मी चाय पी लूँ। उसके बाद दवाई लेने जाऊंगी । थोड़ी देर में ही दीपक का फोन भी आ जाता है फोन पर बात करते-करते वह दवाई ले ले निकल जाती है।

दीपक-हाय नम्रता कैसी हो? नम्रता-हां यार मैं ठीक हूं तुम बताओ? दीपक-आज तुमने येलो रंग की साड़ी पहनी थी ना?? नम्रता-तुम्हें कैसे पता? क्या सारा दिन मुझे ही देखते रहते हो? और कुछ काम नहीं है क्या तुम्हारे पास? दीपक- तुम्हें चाहना ही मेरा काम है? वह म्यूजिक सिस्टम वाला है ना।वहीं से  ही मैं रोज देखता हूँ। फिर दोनों कुछ और इधर उधर की बातें करते हैं थोड़ी देर में ही दवाई लेकर घर पहुंच जाती है और दीपक का फोन भी रख देती है।

दीपक और नम्रता का आगे क्या होगा? दिल्ली मूवी देखने जाएंगे? यह सब जाने के लिए पढ़ते रहिए।

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2 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 09:00 PM

Nice one

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Rekha

22-Aug-2023 06:57 PM

very nice 👍

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